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1- ईरान के हमले के बाद इजरायल भी इसका बदला लेने की फिराक में है और उसने सही समय पर जवाब देने की बात कही है।
2- बीते दिन इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की पांच सदस्यीय युद्ध कैबिनेट ने एक आपात बैठक की। इसमें सभी नेताओं ने जवाबी कार्रवाई का समर्थन किया, लेकिन पैनल हमले के समय और तरीके पर विभाजित दिखा। अमेरिका भी इस संकट को लेकर अलर्ट मोड पर है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने नेतन्याहू से बात कर कोई भी कदम सावधानीपूर्वक और रणनीतिक रूप से उठाने का आग्रह किया है। इसके बाद युद्ध कैबिनेट ने अपनी चर्चाओं को रोक दिया, लेकिन जल्द ही फिर से बैठक होने की उम्मीद है।
3- संयुक्त राष्ट्र में ईरान के दूत ने कहा कि इजरायल पर हमला उसकी हरकत का ही जवाब था और उसने आत्मरक्षा के अधिकार का ही प्रयोग किया है। ईरान ने कहा कि इजराइल पर हमला, दमिश्क में उसके वाणिज्य राजदूतों पर किए हमले का जवाब था।
4- दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के प्रतिनिधि गिलाद एर्दान ने सुरक्षा परिषद से ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाने की मांग की।
5- उधर, ईरान ने अमेरिका को भी चेताया है कि वो इस विवाद से दूर रहे नहीं तो अंजाम सही नहीं होगा। एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजरायली प्रधानमंत्री से कहा है कि वो ईरान पर किसी भी प्रतिशोध के लिए सैन्य समर्थन की पेशकश नहीं करेंगे। बाइडन ने कहा कि वो दोनों देशों में युद्ध नहीं चाहते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का भी इस विवाद पर बयान आया है। गुटेरेस ने अपने सदस्यों से ईरान के खिलाफ प्रतिशोध के साथ तनाव को और न बढ़ाने का आह्वान किया।
6- दोनों देशों के बीच तनाव पर भारत का भी बयान आया है। भारत ने कहा कि क्षेत्र में बढ़ते तनाव को “बातचीत और कूटनीति” के जरिए हल किया जाना चाहिए। हम तत्काल तनाव कम करने, संयम बरतने, हिंसा से पीछे हटने और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान करते हैं।
7- विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को अपने ईरानी और इजरायली समकक्षों से फोन पर बात की। उन्होंने दोनों देशों को एशिया की स्थिति पर भारत की चिंताओं से अवगत कराया और तनाव से बचने पर जोर दिया।