बूथ प्रबंधन: मोदी की रणनीति
मंगलवार को उत्तर प्रदेश के बूथ कार्यकर्ताओं से संवाद करने वाले पीएम मोदी ने इससे पहले हाल ही में तमिलनाडु, केरल और बिहार के अलावा अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बूथ कार्यकर्ताओं से भी वर्चुअल संवाद किया। इन सारे कार्यक्रमों में कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने के लिए बेशक कुछ बिंदु समान रहे हों, लेकिन अलग-अलग राज्यों के हिसाब से अलग रणनीति भी सामने आई।
राज्यों के अनुसार रणनीति
उत्तर प्रदेश
संसदीय क्षेत्र में विकास कार्य की रिपोर्ट ही काफी है। उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के कार्यकर्ताओं से बात की तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में मजबूत हुई कानून व्यवस्था की ब्रां¨डग के अलावा सपा के परिवारवाद पर प्रहार रणनीति में शामिल है।
बिहार
बिहार की राजनीतिक परिस्थितियां अलग हैं तो वहां रणनीति और पैनी है। पीएम मोदी ने समझाया कि नए मतदाताओं को नहीं पता होगा कि राजद जब सत्ता में था, तब बिहार में क्या हालात थे, इसलिए बुजुर्ग कार्यकर्ताओं को बुलाकर उनसे नए मतदाताओं के बीच अनुभव सुनवाएं कि तब कैसे जंगलराज था।
तमिलनाडु
तमिलनाडु के कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि डीएमके के खिलाफ जितने भी मुद्दे हैं, उनकी सूची बनाकर मतदाताओं के घर जाकर संपर्क करें और समझाएं।
निष्कर्ष
पीएम मोदी ने यह भी साफ कर दिया कि शक्ति पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जो टिप्पणी की थी, उसे कैसे चुनाव में चर्चा में रखना है। राहुल की टिप्पणी याद दिलाने के साथ ही बिहार और उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं को संदेश दिया कि नवरात्रि में शक्ति की आराधना करनी है।
समाप्ति
महिलाओं से अभियान चलाकर संपर्क और संवाद करना है। तीसरी पारी, 370 सीट और तीन-तीन कार्यकर्ता पीएम मोदी की नजर तीसरी पारी में 370 सीटें जीतने पर है तो तीन-तीन कार्यकर्ताओं वाली अलग रणनीति भी समझा रहे हैं। लगभग सभी संवादों में उन्होंने कहा है कि हर बूथ पर तीन-तीन कार्यकर्ताओं की टीम बनाएं। हर टीम को दस परिवारों की जिम्मेदारी सौंप दें कि उन परिवारों से मतदान तक जरूर प्रतिदिन संपर्क-संवाद करें।