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हरिद्वार में ऑनर किलिंग केस में आजीवन कारावास की सजा

Uttarakhand Honour Killing Case: उत्तराखंड के ऑनर किलिंग केस में छह साल बाद कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। कोर्ट ने बेटी की हत्या के आरोप में मां, भाई और एक पड़ोसी को सजा का ऐलान किया है। उन पर बेटी के प्रेम प्रसंग से नाराज होकर उसकी हत्या का आरोप साबित हुआ है।

हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में एक ऑनर किलिंग (खुद परिवार के सदस्यों की हत्या) केस में न्यायिक फैसला किया गया है, जिसमें महिला, उसके बेटे, और एक पड़ोसी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। हरिद्वार के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश संजीव कुमार ने इस अपारदर्शन मामले में महिला और उसके परिवार के सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने महिला शिवानी की मां मिथलेश देवी, भाई सौरभ और पड़ोसी सुनील को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 34 (एक इरादे से कई व्यक्तियों की ओर से किए गए कार्य), 120-बी (आपराधिक साजिश), 201 (सबूत छिपाने और झूठी जानकारी देने), और 506 (आपराधिक कार्य) की धाराओं में दोषी पाया है। इसके अलावा, कोर्ट ने उनके पड़ोसी सिरमौर सिंह को सबूतों से छेड़छाड़ के लिए जिम्मेदार ठहराया और उसे सात साल की कठोर कारावास की सजा दी है।

इस मामले में कारण के रूप में पारिवारिक विवाद था। शिवानी ने अपने एक परिवारिक सदस्य अजय सिंह के साथ रिश्ता बनाया था और वह उससे शादी करने की इच्छा रखती थी, जिससे परिवार के लोग असंतुष्ट थे। इस नाराजगी के बावजूद, अक्टूबर 2017 में शिवानी के इस रिश्ते से नाराज परिजनों ने शिवानी की हत्या करने का फैसला लिया और इसके लिए उन्होंने पड़ोसियों की भी मदद ली। पुलिस की चार्जशीट में पूरा मामला सामने आया और पुलिस की जांच में साफ हुआ कि 20 वर्षीय शिवानी की गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी।

इसके बाद, मामा समेत पांच लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया और इस मामले में कोई स्वतंत्र गवाह नहीं था, क्योंकि शिवानी की हत्या कर दी गई थी उसके घर पर ही। अदालत ने महिला, उसके बेटे, और पड़ोसी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जो इस प्रकरण में साजिश के आरोपी हैं।

इस केस में उपस्थित सबूतों के माध्यम से, कोर्ट ने यह सिद्ध किया कि घातक हत्या केस के खिलाफ जिम्मेदारी साझा की जा सकती है, और इस परिप्रेक्ष्य में आजीवन कारावास की सजा को सुनाया। इसके बाद, उपभोक्ता अदालत ने पड़ोसी सिरमौर सिंह को छेड़छाड़ के आरोप में सात साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई।

इस मामले में एक और रोचक पहलू था, जो हत्या के पूर्ववर्ती प्रसंग से जुड़ा था। शिवानी और अजय के बीच फोन पर हुई बातचीत, जिसमें वह अपनी जान की आशंका जताती थी, बाद में अपराध के सबूत के रूप में पेश की गई। यह बातचीत की रिकॉर्डिंग को मुख्य सबूत के रूप में प्रस्तुत किया गया था, और इसके बाद, उपभोक्ता अदालत ने इसे महत्वपूर्ण सबूत के रूप में स्वीकार किया।

अजय को आरोपियों ने धमकाने की भी कोशिश की थी, लेकिन वह नहीं टूटा और पुलिस के सामने सबूत प्रस्तुत किया। इस केस में फॉरेंसिक लैब से बातचीत की रिकॉर्डिंग की जांच कराई गई और इसे सही पाया गया।

हरिद्वार कोर्ट ने 6 अगस्त को आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इस मामले में न्यायिक फैसला ने परिवारिक विवाद के अंदर घटित घातक घटना के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया है कि किसी भी प्रकार की हिंसा और आत्महत्या को नकारा जाना चाहिए, और ऐसे केसों में कड़ी सजा होनी चाहिए।

यह फैसला उत्तराखंड के क़ानूनी प्रक्रिया के अनुसार किया गया है, और इससे यह साबित होता है कि भारतीय समाज के न्यायिक प्रक्रिया में भरपूर विश्वास है, जिससे समाज में न्याय की भावना को मजबूती से प्रतिष्ठित किया जा सकता है।

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