न जमीन पर रेंगकर, न सुरंग खोदकर आ पाएंगे आतंकी, जानिए IPSS से कैसे अभेद्य बन रहे वायुसेना के एयरबेस
पठानकोट और उरी की घटना के बाद सैन्य प्रतिष्ठानों को बनाया है सुरक्षित
नई दिल्ली: फिर कभी पठानकोट और उरी जैसी घटना नहीं हो, इसके लिए सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा चाक-चौबंद करने की नेक्स्ट लेवल की तैयारी हो रही है। भारतीय वायुसेना अपने ऐसेट्स को आतंकी हमलों से फुल प्रूफ रखने के लिए देशभर में अपने और 30 एयर बेस की ग्राउंड पेरिमीटर सिक्यॉरिटी को अपग्रेड करने की योजना शुरू की है। इन 30 एयर बेस पर वैसे ही नए व्यापक मल्टि लेयर्ड, मल्टि सेंसर, हाइटेक सर्विलांस और घुसपैठ का पता लगाने वाले सिस्टम लगाए जाने हैं जो 23 ‘महत्वपूर्ण और संवेदनशील’ एयर बेस पर लगाए जा चुके हैं। यह सिस्टम एकीकृत परिधि सुरक्षा प्रणाली (IPSS) के नाम से जाना जाता है। वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) को बताया, ’23 उच्च प्राथमिकता वाले एयर बेस में से 17-18 में कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स के साथ आईपीएसएस काम कर रहा है। अब 30 और एयर बेस पर कुछ अतिरिक्त फीचर्स और अपग्रेड्स के साथ आईपीएसएस स्थापित करने की योजना है।’
आतंकवादी संगठनों के लिए नहीं रास्ता
पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकवादियों ने जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पहले 23 एयर बेस के लिए आईपीएसएस इंस्टॉलेशन को मंजूरी दी थी, जिसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (BEL) को ठेका मिला था। भारतीय कंपनियों को अब जारी रिक्वेस्ट ऑफर इन्फर्मेशन (RFI) के अनुसार, भारतीय वायुसेना चाहती है कि 30 एयर बेस पर घुसपैठ का पता लगाने और निगरानी के लिए पांच परतों वाला आईपीएसएस सिस्टम लगाया जाए।
इनोवेशन से बढ़ती सुरक्षा
यह खास परिस्थिति में फोटो और वीडियो के विश्लेषण से उचित निर्णय लेने में मददगार साबित होगा जिसमें एआई की बड़ी भूमिका होगी। एयरबेस की निगरानी के लिए तैनात होने वाले आईपीसएसएस सिस्टम की पांच परतों में इलेक्ट्रिक स्मार्ट पावर की बाड़ेबंदी, इन्फ्रा रेड लाइट वाले सीसीटीवी कैमरे, रेडार, डेडिकेटेड ऑप्टिकल फाइबर केबल और जमीन के अंदर होने वाली हलचल का पता लगाने वाली प्रणालियां (UVDS) एवं डुअल पीटीजेड (पैन, टिल्ट, जूम) थर्मल और विजिबल कैमरे शामिल होंगे।
सुरक्षा की नई सोच
एक अधिकारी ने बताया, ‘गैप फ्री सिस्टम में हवाई निगरानी के लिए मिनी यूएवी (मानवरहित हवाई वाहन) भी होने चाहिए। यूवीडीएस को एयरबेस की परिधि में अगर घुसपैठियों के चलने, रेंगने और सुरंग खोदने के कारण होने वाली हलचल का पता लगाने में सक्षम होना चाहिए।’ वायुसेना ने विक्रेताओं से इस साल 24 जून तक आईपीएसएस के लिए आरएफआई पर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा है। ध्यान रहे कि पाकिस्तान में बलोच उग्रवादियों ने 25 मार्च को ही एक और नौसैनिक एयर बेस पर हमला किया था।
सैन्य अधिकारियों का कहना
हाल के वर्षों में पठानकोट, उरी, नगरोटा, अखनूर और अन्य शिविरों पर आतंकवादी हमलों की एक सीरीज चली। इससे पता चला कि सैन्य प्रतिष्ठानों और ठिकानों के आसपास सुरक्षा के बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने की कितनी जरूरत है। कम लागत वाले लेकिन ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले आतंकी हमलों ने मौजूदा व्यवस्था में कई कमियों को उजागर किया था। इन हमलों में आतंकियों को मिली सफलता से साफ पता चला कि सैन्य ठिकानों के आसपास की नए पैमाने से सुरक्षा सुनिश्चित करने, मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपीज) को उन्नत करने से लेकर नियमित सिक्यॉरिटी ऑडिट और खुफिया एवं सुरक्षा एजेंसियों के बीच सहज समन्वय की कितनी जरूरत है।
सुरक्षा में नए उत्थान
नए तौर-तरीकों और तकनीकों के अनुप्रयोग से सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में नए उत्थान आ रहे हैं। इन उत्थानों के माध्यम से हम न केवल अपने असेट्स को सुरक्षित बना रहे हैं बल्कि आम जनता को भी आतंकवादी हमलों से सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं। इससे सैन्य अधिकारियों और सरकारी निकायों के बीच सहज समन्वय और समर्थन बढ़ रहा है।
निष्पक्ष और सुरक्षित समाज के दिशा में
सुरक्षा के मामले में नए प्रयासों और नए तकनीकी उत्थानों के माध्यम से हम एक निष्पक्ष और सुरक्षित समाज की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं। इन प्रयासों के साथ हम सभी एक मजबूत, सुरक्षित और विश्वासपूर्ण भविष्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं।